20220725

ब्रेक

 क्या हमने कभी सोचा है, साइकिल हो, या कार, ट्रेन हो या हवाई जहाज, हर एक वाहन में, जिससे हम यात्रा करते हैं, उनमें ब्रेक्स क्यों होते हैं?




एक बार भौतिक विज्ञान की कक्षा में शिक्षक ने विद्यार्थियों से पूछा, "कार में ब्रेक क्यों लगाते हैं?"

एक छात्र ने उठकर उत्तर दिया, "सर, कार को रोकने के लिए।" एक अन्य छात्र ने उत्तर दिया, "कार की गति को कम करने और नियंत्रित करने के लिए।" एक अन्य ने कहा, "टक्कर से बचने के लिए।"

जल्द ही, जवाब दोहराए जाने लगे। इसलिए शिक्षक ने स्वयं प्रश्न का उत्तर देने का निर्णय लिया।

चेहरे पर एक मुस्कान के साथ उन्होंने कहा, "मैं आप सभी की सराहना करता हूँ कि आप इस सवाल का जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं। हालाँकि मेरा मानना ​​​​है कि यह सब व्यक्तिगत धारणा का मामला है। पर मैं इसे इस तरह से देखता हूँ, " कार में ब्रेक, हमें इसे और तेज चलाने में सक्षम बनाते हैं।"

कक्षा में गहरा सन्नाटा छा गया! इस जवाब की किसी ने कल्पना नहीं की थी।
 
शिक्षक ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, "एक पल के लिए, मान लेते हैं कि हमारी कार में कोई ब्रेक नहीं है। अब हम अपनी कार को कितनी तेज चलाने के लिए तैयार होंगे?"

आगे उन्होंने कहा, "यह ब्रेक ही हैं जिनके कारण हम कार को तेजी से चलाने की हिम्मत करते हैं और अपने गंतव्य तक पहुँच सकते हैं।"

 कक्षा के सभी छात्र सोच में पड़ गए। उन्होंने पहले कभी इस तरह से "ब्रेक" के बारे में नहीं सोचा था।

आइए विचार करें!

जीवन में हमारे सामने कई ऐसे ब्रेक आते हैं, जो हमें निराश करते हैं। हमारे माता-पिता, शिक्षक, शुभचिंतक और हमारे मित्र, हमारी प्रगति की दिशा या जीवन में निर्णय के बारे में हमसे पूछते है।

हम उनके प्रश्नों तथा जीवन की कठिन स्थितियों को "ब्रेक" के रूप में देखते हैं, जो हमारी गति को बाधित करते हैं।

 लेकिन कैसा हो अगर हम उन्हें अपने समर्थक या उत्प्रेरक के रूप में देखें? ऐसे उपकरण के रूप में जो हमें जोखिम लेने में सक्षम बनाते हैं, साथ ही यह सुनिश्चित करते हैं कि हम अपनी रक्षा कर सकें।

क्योंकि, कभी-कभी हमें रुकना पड़ता है। यहाँ तक की एक कदम पीछे भी हटना पड़ता है, ताकि हम एक लंबी छलांग लगा सकें।

ऐसे सवालों और परिस्थितियों (समय-समय पर ब्रेक) के कारण ही हम आज जहॉं हैं, वहाँ पहुँचने में कामयाब रहे हैं।

जीवन में इन "ब्रेक" के बिना हम फिसल सकते थे, दिशा खो सकते थे या एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना का शिकार हो सकते थे।

 ब्रेक हमें वापस पीछे धकेलने या हमें बांधने के लिए नहीं होते हैं। इसके बजाय वे हमें पहले की तुलना में तेजी से आगे बढ़ने में सहायक होते है। ताकि हम अपने गंतव्य तक शीघ्र और सुरक्षित पहुँच सके।

 क्या हम अपने जीवन में 'ब्रेक' के लिए आभारी हैं । या हम उन्हें केवल अपने काम में बाधा के रूप में देखते हैं?

           

"जब आप जीवन में कठिन परिस्थितियों से गुजरते हैं, तो आप पहले से ज्यादा मजबूत होकर उभरते हैं।"

20220711

अपनी गठरी टटोलें



दो आदमी यात्रा पर निकले ! दोनों की मुलाकात हुई, दोनों का गंतव्य एक था तो दोनों यात्रा में साथ हो चले ।


सात दिन बाद दोनों के अलग होने का समय आया तो एक ने कहा:-भाई साहब ! एक सप्ताह तक हम दोनों साथ रहे क्या आपने मुझे पहचाना ?


दूसरे ने कहा:-  नहीं, मैंने तो नहीं पहचाना !


पहला यात्री बोला:- महोदय मैं एक नामी ठग हूँ परन्तु आप तो महाठग हैं। आप मेरे भी गुरू निकले ।

 

दूसरे यात्री बोला "कैसे ?

 

पहला यात्री:- कुछ पाने की आशा में मैंने निरंतर सात दिन तक आपकी तलाशी ली, मुझे कुछ भी नहीं मिला। इतनी बड़ी यात्रा पर निकले हैं तो क्या आपके पास कुछ भी नहीं है ? बिल्कुल खाली हाथ हैं ?

 

दूसरा यात्री "मेरे पास एक बहुमूल्य हीरा है और थोड़ी-सी रजत मुद्राएं भी हैं ।

 

पहला यात्री बोला :- तो फिर इतने प्रयत्न के बावजूद वह मुझे मिले क्यों नहीं ?


दूसरा यात्री "मैं जब भी बाहर जाता - वह हीरा और मुद्राएं तुम्हारी पोटली में रख देता था और तुम सात दिन तक मेरी झोली टटोलते रहे। अपनी पोटली सँभालने की ज़रूरत ही नहीं समझी - तो फिर तुम्हें कुछ मिलता कहाँ से ?

 

यही समस्या हर इंसान की है। आज का इंसान अपने  सुख से सुखी नहीं है। दूसरे के सुख से दुखी है क्योंकि निगाह सदैव दूसरे की गठरी पर होती है ।


ईश्वर नित नई खुशियाँ हमारी झोल़ी में डालता है परन्तु हमें अपनी गठरी पर निगाह डालने की फुर्सत ही नहीं है ! 


यही सबकी मूलभूत समस्या है। जिस दिन से इंसान दूसरे की ताक झाँक बंद कर देगा उस क्षण सारी समस्या का समाधान हो जाऐगा ।


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अपनी गठरी टटोलें !  


▪️जीवन में सबसे बड़ा गूढ़ मंत्र है स्वयं को टटोलें और 

▪️जीवन-पथ पर आगे बढ़ें । सफलताएं आप की प्रतीक्षा में है

20220207

प्रकृति की ओर चलो.....

 अपनी मृत्यु..... अपनों की मृत्यु डरावनी लगती है बाकी तो मौत का उत्सव मनाता है मनुष्य...


 मौत के स्वाद का 
चटखारे लेता मनुष्य....
थोड़ा कड़वा लिखा है पर मन का लिखा है......

मौत से प्यार नहीं , मौत तो हमारा स्वाद है।

बकरे का, 
पाए का, 
तीतर का, 
मुर्गे का, 
हलाल का, 
बिना हलाल का, 
ताजा बच्चे का, 
भुना हुआ,
छोटी मछली, 
बड़ी मछली, 
हल्की आंच पर सिका हुआ। 
न जाने कितने बल्कि अनगिनत स्वाद हैं मौत के।
क्योंकि मौत किसी और की, और स्वाद हमारा....

स्वाद से कारोबार बन गई मौत। 
मुर्गी पालन, मछली पालन, बकरी पालन, पोल्ट्री फार्म्स।
नाम "पालन" और मक़सद "हत्या"। स्लाटर हाउस तक खोल दिये। वो भी ऑफिशियल। गली गली में खुले नान वेज रेस्टॉरेंट, मौत का कारोबार नहीं तो और क्या हैं ? मौत से प्यार और उसका कारोबार इसलिए क्योंकि मौत हमारी नही है।

 जो हमारी तरह बोल नही सकते, 
अभिव्यक्त नही कर सकते, अपनी सुरक्षा स्वयं करने में समर्थ नहीं हैं, 
उनकी असहायता को हमने अपना बल कैसे मान लिया ?
 कैसे मान लिया कि उनमें भावनाएं नहीं होतीं ?
 या उनकी आहें नहीं निकलतीं ?

डाइनिंग टेबल पर हड्डियां नोचते बाप बच्चों को सीख देते है, बेटा कभी किसी का दिल नही दुखाना ! किसी की आहें मत लेना ! किसी की आंख में तुम्हारी वजह से आंसू नहीं आना चाहिए ! 

बच्चों में झुठे संस्कार डालते बाप को, अपने हाथ मे वो हडडी दिखाई नही देती, जो इससे पहले एक शरीर थी, जिसके अंदर इससे पहले एक आत्मा थी, उसकी भी एक मां थी ...??
 जिसे काटा गया होगा ? 
जो कराहा होगा ? 
जो तड़पा होगा ? 
जिसकी आहें निकली होंगी ? 
जिसने बद्दुआ भी दी होगी ?

 कैसे मान लिया कि जब जब  धरती पर अत्याचार बढ़ेंगे तो
भगवान सिर्फ तुम इंसानों की रक्षा के लिए अवतार लेंगे ?

क्या मूक जानवर उस परमपिता परमेश्वर की संतान नहीं हैं ? 
क्या उस ईश्वर को उनकी रक्षा की चिंता नहीं है ?

आज कोरोना वायरस उन जानवरों के लिए, ईश्वर के अवतार से कम नहीं है । 

जब से इस  वायरस का कहर बरपा है, 
जानवर स्वच्छंद घूम रहे है ।
पक्षी चहचहा रहे हैं। 
उन्हें पहली बार इस धरती पर अपना भी कुछ अधिकार सा नज़र आया है। पेड़ पौधे ऐसे लहलहा रहे हैं, जैसे उन्हें नई जिंदगी मिली हो। धरती को भी जैसे सांस लेना आसान हो गया हो।

सृष्टि के निर्माता द्वारा रचित करोङो करोड़ योनियों में से एक कोरोना ने हमें हमारी औकात बता दी। घर में घुस के मारा है और मार रहा है। और उसका हम सब, कुछ नही बिगाड़ सकते। अब घंटियां बजा रहे हो, इबादत कर रहे हो, प्रेयर कर रहे हो और भीख मांग रहे हो उससे, कि वो हमें बचा ले।

धर्म की आड़ में उस परमपिता के नाम पर अपने स्वाद के लिए कभी ईद पर बकरे काटते हो, कभी दुर्गा मां या भैरव बाबा के सामने बकरे की बली चढ़ाते हो।
कहीं तुम अपने स्वाद के लिए मछली का भोग लगाते हो । 

कभी सोचा.....!!!
क्या ईश्वर का स्वाद होता है ? ....क्या है उनका भोजन ?

किसे ठग रहे हो ?
भगवान को ? 
अल्लाह को ?  
जीसस को?
या खुद को ?

मंगलवार को नानवेज नही खाता ...!!!
आज शनिवार है इसलिए नहीं...!!!
अभी रोज़े चल रहे हैं ....!!!
नवरात्रि में तो सवाल ही नही उठता....!!!

झूठ पर झूठ....
...झूठ पर झूठ
..झूठ पर झूठ...!!

फिर कुतर्क सुनो.....फल सब्जियों में भी तो जान होती है ...?
 .....तो सुनो फल सब्जियाँ संसर्ग नहीं करतीं, ना ही वो किसी प्राण को जन्मती हैं । 
इसी लिए उनका भोजन उचित है। 

ईश्वर ने बुद्धि सिर्फ तुम्हे दी । ताकि तमाम योनियों में भटकने के बाद मानव योनि में तुम जन्म मृत्यु के चक्र से निकलने का रास्ता ढूँढ सको। लेकिन तुमने इस मानव योनि को पाते ही स्वयं को भगवान समझ लिया।

आज कोरोना के रूप में मौत हमारे सामने खड़ी है।

तुम्ही कहते थे, की हम जो प्रकति को देंगे, वही प्रकृति हमे लौटायेगी। मौते दीं हैं हमने प्रकृति को, तो मौतें ही लौट रही हैं।

बढो...!!!
आलिंगन करो मौत का....!!!

यह संकेत है ईश्वर का। 
प्रकृति के साथ रहो।
प्रकृति के होकर रहो।
वर्ना..... ईश्वर अपनी ही बनाई कई योनियों को धरती से हमेशा के लिए विलुप्त कर चुके हैं। और आगे भी ऐसा करने में उन्हें एक क्षण भी नही लगेगा ।

प्रकृति की ओर चलो......

20210430

Avoid Ego

आहिस्ता सें पढना मेरे दोस्त, 

एक वाक्य भी दिल में बैठ गया तो कविता सार्थक हो जायेगी .....

मैं रूठा,

      तुम भी रुठ गए,

      फिर मनाएगा कौन? 

 आज दरार है,

      कल खाई होगी,

      फिर भरेगा कौन? 

 मैं चुप,

      तुम भी चुप,

      इस चुप्पी को फिर तोडेगा कौन? 

 छोटी बात को लगा लोगे दिल सें,

      तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन? 

 दु:खी मैं भी और तुम भी बिछडकर,

      सोचो हाथ फिर बढाएगा कौन? 

 न मैं राजी,

      न तुम राजी,

      फिर माफ करनें का बडप्पन 

      दिखाएगा कौन? 

 डूब जाएगा यादों में दिल कभी,

      तो फिर धैर्य बंधाएगा कौन? 

 एक अहम् मेरे,

      एक तेरे भीतर भी,

      इस अहम् को फिर हराएगा कौन? 

 जिंदगी किसको मिली है सदा के लिए,

      फिर इन लम्हों में अकेला

      रह जाएगा कौन? 

 मूंद ली दोनों में से गर किसी दिन,

      एक ने आँखे ....

      तो कल इस बात पर फिर 

      पछतायेगा कौन? 

*Respect Each Other*

           *Ignore Mistakes*

                          *Avoid Ego* 


20201006

लाजवाब

जीवन में ऐसी सोच रखिये , जो खोया है उसका गम नहीं...

पर जो पाया है , वह किसी से कम नहीं...

जो नहीं है वह एक ख्वाब है, पर जो है वह लाजवाब है...

20200930

ईश्वर

द्रौपदी के स्वयंवर में जाते वक्त श्री कृष्ण" ने अर्जुन को समझाते हुए कहते हैं कि, हे पार्थ तराजू पर पैर संभलकर रखना, संतुलन बराबर रखना, लक्ष्य मछली की आंख पर ही केंद्रित हो उसका खास खयाल रखना, तो अर्जुन ने कहा, "हे प्रभु " सबकुछ अगर मुझे ही करना है, तो फिर आप क्या करोगे, ???


वासुदेव हंसते हुए बोले, हे पार्थ जो आप से नहीं होगा वह मैं करुंगा, पार्थ ने कहा प्रभु ऐसा क्या है जो मैं नहीं कर सकता, ??? 

वासुदेव फिर हंसे और बोले, जिस अस्थिर, विचलित, हिलते हुए पानी में तुम मछली का निशाना साधोगे, उस विचलित "पानी" को स्थिर "मैं" रखुंगा !!

कहने का तात्पर्य यह है कि आप चाहे कितने ही निपुण क्यूँ ना हो, कितने ही बुद्धिवान क्यूँ ना हो, कितने ही महान एवं विवेकपूर्ण क्यूँ ना हो, लेकिन आप स्वंय हरेक परिस्थिति के उपर पूर्ण नियंत्रण नहीँ रख सकते..... आप सिर्फ अपना प्रयास कर सकते हो, लेकिन उसकी भी एक सीमा है और जो उस सीमा से आगे की बागडोर संभलता है उसी का नाम ही ईश्वर है ..

दो प्रकार के पेड़- पौधे

 संसार में दो प्रकार के पेड़- पौधे होते हैं -


प्रथम : अपना फल स्वयं दे देते हैं,
जैसे - आम, अमरुद, केला इत्यादि ।

द्वितीय : अपना फल छिपाकर रखते हैं,
जैसे - आलू, अदरक, प्याज इत्यादि ।

जो फल अपने आप दे देते हैं, उन वृक्षों को सभी खाद-पानी देकर सुरक्षित रखते हैं, और  ऐसे वृक्ष फिर से फल देने के लिए तैयार हो जाते हैं ।

किन्तु जो अपना फल छिपाकर रखते है, वे जड़ सहित खोद लिए जाते हैं, उनका वजूद ही खत्म हो जाता हैं।

ठीक इसी प्रकार...
जो व्यक्ति अपनी विद्या, धन, शक्ति स्वयं ही समाज सेवा में समाज के उत्थान में लगा देते हैं, *उनका सभी ध्यान रखते हैं और वे मान-सम्मान पाते है।

वही दूसरी ओर

 जो अपनी विद्या, धन, शक्ति स्वार्थवश छिपाकर रखते हैं, किसी की सहायता से मुख मोड़े रखते है, *वे जड़ सहित खोद लिए जाते है, अर्थात् समय रहते ही भुला दिये जाते है।

प्रकृति कितना महत्वपूर्ण संदेश देती है, बस समझने, सोचने  की बात है।

20200914

अपने पैरों के तलवों में तेल लगाएं

किसी भी तेल, सरसों या जैतून, आदि को पैरों के तलवों और पूरे पैर पर लगायें, विशेषकर तलवों पर तीन मिनट के लिए और दाहिने पैर के तलवे पर तीन मिनट के लिए।

रात को सोते समय पैरों के तलवों की मालिश करना कभी न भूलें, और बच्चों की मालिश भी इसी तरह करें। इसे अपने जीवन के बाकी हिस्सों के लिए एक दिनचर्या बना लें। फिर प्रकृति की पूर्णता को देखें। आप अपने पूरे जीवन में कंघी करते हैं।  क्यों न पैरों के तलवों पर तेल लगाया जाए।

प्राचीन चीनी चिकित्सा के अनुसार, पैरों के नीचे लगभग 100 एक्यूप्रेशर बिंदु हैं।  उन्हें दबाने और मालिश करने से मानव अंगों को भी ठीक किया जाता है। उसे फुट रिफ्लेक्सॉजी कहा जाता है। दुनिया भर में पैरों की मालिश चिकित्सा का उपयोग किया जाता है।

20200801

आज 30-35 साल तक के बच्चों के विवाह नहीं हो रहे है? कारण क्या है ?

विवाह योग्य युवक-युवती के परिवार वाले ध्यान से पढ़े

 

       एक 24 वर्षीय  लड़की के पिताजी को नजदीक के परिजन ने एक विवाह प्रस्ताव के बारे में बताया कि लड़का शहर में नौकरी करता है। .... दिखने में सुस्वरूप है।.... अच्छे संस्कार वाला है।...  माँ बाप भी धनाढ्य और सम्पन्न हैं

 

         लड़के की उम्र 25 साल है, सब अनुरुप है। लड़की के पिताजी ने कहा कि  वो सब ठीक है पर लड़के की कमाई कितनी है?

 

मध्यस्थ ने बताया कि अच्छी है। 30 हजार रुपये है। धनाढ्य परिवार से है।

 

लड़की के पिताजी ने जवाब दिया कि हूँ !! शहर में 30 हजार से क्या होता है? परिवार की कमाई से हमें क्या लेना-देना!!

 

      मध्यस्थ ने कहा कि एक दूसरा लड़का भी है।... दिखने में ठीक ठाक है।... तनख्वाह अच्छी.... 50 हजार है। सिर्फ उसकी उम्र थोड़ी ज्यादा है। वह 28 साल का है।

 

       लडके पिताजी ने कहा कि 50 हजार ? शहर में 1BHK फ्लैट भी वह खरीद सकता है क्या!.... सिर्फ  50 हजार में?... तो मेरी बेटी को कैसे खुश रख पायेगा वो !

 

          मध्यस्थ ने हिम्मत नहीं हारी और एक बताया कि एक और भी है।.... लड़का दिखने मे ठीक ठाक है। .... सिर्फ थोड़ा मोटा है। .... थोडे से बाल झड़ गए है....दिमाग से काम करने के कारण!....  तनख्वाह भी ज्यादा है।... 1 लाख महीना है। ... पर उम्र मात्र 32 साल है  ... देखो अगर आपको जँचता हो तो!

 

        लड़की के पिताजी ने गुस्से में कहा कि क्या चाटना है 1 लाख पगार को? .... मेरी कन्या को तो सुन्दर  लड़का ही चाहिए।.... और वो भी अकेला रहने वाला या बहुत छोटा परिवार। ....कमाई भी ज्यादा होनी चाहिए, वरना लड़की को खुश कैसे रखेगा!.... मेरी लड़की भी कमाती है! .... कोई अच्छा वर बताइये जी ....लड़का कम उम्र का हो,....अच्छी पगार कमाता हो, .....घर का भी अच्छा होना चाहिए ....और दिखने मैं स्मार्ट हो!... अपने खुद के फ्लैट में रहता हो।... परिवार के साथ रहने वाला नहीं चाहिए!

 

          ऐसे ही बातो में 3 से 5 साल  निकल गए। .... फिर उसे मध्यस्थ को बुलाकर बात हुयी....

 

  मध्यस्थ ने कहा कि अब आपकी लड़की हेतु योग्य वर देखना मेरे बस की बात नही.

 

अब मेरे पास आपकी लड़की के अनुरूप 30 से 35 साल वाले लड़के ही मेरी नजर में है। आप बोलो तो बताऊ?

 

        लड़की का बाप: "कोई भी लड़का बताइये!.... इस उम्र में कही शादी हो जाये! ये क्या कम बड़ी बात है!!!.... लड़की की उम्र भी तो 29/30 हो रही है!! ....अब मेरी लड़की ही बहुत बड़ी हो गयी है... तो मैं ज्यादा क्या अपेक्षा रखू.!!

 

नोट :

 

        ऐसी बातें करके लड़की और लड़को की जिंदगी के साथ खिलवाड़ रोज देखता हूँ! अंत में समझौता ही करते देखा जाता है! ...

 

         आप अपने आस पास देखेंगे, तो पायेंगे की बहुत से लोग शादी के बाद धनवान बने है!.... क्यों की ज्योतिषीय आधार पर भी बहुत बार भाग्य शादी के बाद उदय होता है।... तो बहुत बार शादी के बाद व्यक्ति का सब कुछ चला जाता है..... इसलिए पैसे को ही एकमात्र आधार नहीं बनाये!....सिर्फ एक सवाल का उत्तर दें कि जब आपकी शादी हुई थी तब आप कितना कमाते थे? ... आज क्या आपके पास नहीं है!

 

        लड़का-लड़की को समानता का अधिकार वाले युग मे आप भी थोड़ा लड़की एवं लड़के के पीछे खड़े रहिये। पर कृपा करके लड़के-लड़कियों की शादी योग्य उम्र में करिये या होने दीजिए।

 

        ज्यादा मामलों में देखा गया है कि कमाने वाली लड़कियां या पढ़ाई करने वाली लड़कियां ही अभी पढ़ना है! का बहाना बना कर .... या काम का बहाना बनाकर जल्द विवाह नहीं करना चाहती है। .... और मां-बाप द्वारा शादी की बात करने पर घर में झगड़ा आम हो चुका है। ....अपने माता-पिता की भी भावनाये एवं इच्छाओं का ध्यान रखिए।.. .. आप भले ही डिग्री में उनसे ज्यादा हैं। ... पर आपके माता-पिता आपसे बहुत ज्यादा अनुभवी हैं।... और कोई भी अपने बच्चों के लिए गलत संबंध नहीं देखता है।

 

         कई जगह तो अच्छे लड़कों को इसलिए छोड़ दिया क्यों कि लड़कियां जॉब कर रही थी और पढ़ाई में लड़कों से ज्यादा थी।...जब कि लड़के भले ही उनसे कम पढ़े थे .... परंतु उनके जैसी सैलरी वाले तो उनके परिवारिक व्यवसाय में जॉब कर रहे थे।.... उनके पास पढ़ाई लड़की से कम भले ही था....पर परिवार और लड़के के पास सारी सुख सुविधा थी।.... परंतु उनको इसलिए नकार दिया गया, क्यों कि वे परिवारिक संयुक्त व्यापार में थे!... लड़की के परिवार को परिवारिक व्यापारी नहीं बल्कि अकेला जॉब या काम करने वाला लड़का चाहिए था!!....जब कि वे वर करोड़ों में खेल रहे थे!.... उनको पढ़ी लिखी बहु चाहिए थी! .... शादी के बाद जॉब करने वाली नहीं बल्कि परिवारिक काम में मददगार बहु!... सारी संपत्ति इनके 2 या 3 भाइयों में ही बंटती!....ऐसे सम्बंध छोड़कर जॉब वालों से शादी करने वालों को भी जानता हूँ ..... और सिर्फ जॉब ही करूंगी ! को ही मकसद बनाकर कई को कुँवारे डोलते उम्रदराज हो चुके को भी जानता हूँ!.... इन्होंने कई बेहतरीन मौके, सिर्फ इसीलिए गंवा दिए!....क्यों कि जॉब की सोच से बाहर आकर मौके को नहीं पहचाना !!... उनके माता-पिता तो तैयार थे.... पर बच्चे नहीं माने!!

 

              उम्रभर पैसा और नौकरीं तो आते-जाते रहेगी....पर "तारुण्य" और "उम्र" वापस नहीं आएगी...

 

देखिये सोच कर  

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             कृपया विवाद न करे ....ये एक सत्य विचार है....कोई इसे  व्यक्तिगत न लें।...अगर बातें सही और योग्य लगे!... तो आचरण में लाने का प्रयास करे....

 

 

 सभी के अनुभव और विचारों का स्वागत है।


20200616

रिश्ते-नाते केंद्र सम्बन्धित फाइल देखने के लिए



आप सब से अनुरोध है कि मन्दिर के खुलने तक धेर्य रखते हुए मन्दिर के दुबारा खुलने की परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करे ।
तब तक आप ऑनलाइन फॉर्म भरना चाहते हैं तो भर सकते हैं ये निशुल्क और फ़्री है 

धन्यवाद
सत्यवीर सिंह त्यागी

20200523

कटी प्याज के नुकसान

‌          
‌  मानो या ना मानो यह पूर्णतया सत्य है.
‌देर से कटी प्याज का कभी उपयोग ना करें.     प्याज हमेशा तुरंत काट कर खाएं.
‌कटी रखी प्याज दस मिनिट में  अपने आस पास के सारे कीटाणु अवशोसित कर लेती है.
यह वेज्ञानिक तौर पर सिद्ध हो चुका है.
‌जब भी किसी मौसमी बीमारी का प्रकोप फैले घर में सुबह शाम हर कमरें में प्याज काट कर रख दें.
‌ बाद में उसे फैंक दें. सुरक्षित बने रहेंगें.
‌प्याज के संबध में महत्वपूर्ण जानकारी.
‌सन 1919 में फ्लू से चार करोड़ लोग मारे जा चुके थे, तब एक डॉक्टर कई किसानों से उनके घर इस प्रत्याशा में 
‌मिला कि वो कैसे इन किसानों को इस महामारी से लड़ने में सहायता कर सकता है.बहुत सारे किसान इस फ्लू से ग्रसित थे 
‌और उनमें से बहुत से मारे जा चुके थे.डॉक्टर जब इनमें से एक किसान के संपर्क में आया तो उसे ये जान कर बहुत आश्चर्य हुआ, कि सारे गाँव के फ्लू से ग्रसित होने के बावजूद ये किसान परिवार बिलकुल स्वस्थ्य था.तब डॉक्टर को ये जानने की इच्छा जागी कि ऐसा इस किसान के परिवार ने सारे गाँव से हटकर क्या किया कि वो इस भंयकर महामारी में भीस्वस्थ्य थे.   तब किसान की पत्नी ने उन्हें बताया कि उसने अपने मकान के दोनों कमरों में ‌एक प्लेट में  छिली हुई प्याज रख दी थी तब डॉक्टर ने प्लेट में रखी इन प्याज को ‌माइक्रोस्कोप से देखा तो उसे इस प्याज में उस घातक फ्लू के बैक्टेरिया मिले जो ‌संभवतया इन प्याज द्वारा अवशोषित कर लिए गए थे और शायद यही कारण था कि ‌इतनी बड़ी महामारी में ये परिवार बिलकुल स्वस्थ्य था, क्योंकि फ्लू के वायरस इन प्याज द्वारासोख लिए गए थे.
‌जब मैंने अपने एक मित्र जो अमेरिका में रहते थे और मुझे हमेशा स्वास्थ्य संबधी मुद्दों पर  ‌बेहद ज्ञानवर्धक जानकारी भेजते रहते हैं,‌तब उन्होंने प्याज के संबध में बेहद महत्वपूर्ण जानकारी/अनुभव मुझे भेजा. उनकी इस बेहद रोचक कहानी के लिए धन्यवाद.
‌जब मैं न्यूमोनिया से ग्रसित था और कहने की आवश्यकता नहीं थी कि मैं बहुत कमज़ोर महसूस कर रहा था तब मैंने एक लेख पढ़ा था जिसमें ये बताया गया था कि प्याज को बीच से काटकर रात में  न्यूमोनिया से ग्रस्त मरीज़ के कमरे में एक जार में रख दिया गया था और सुबह यह देख कर बेहद आश्चर्य हुआ कि प्याज सुबह कीटाणुओं की वज़ह से  बिलकुल काली हो गई थी‌तब मैंने भी अपने कमरे में वैसे ही किया और देखा अगले दिन प्याज बिलकुल काली होकर खराब हो चुकी थी और मैं काफी स्वस्थ्य महसूस कर रहा था.
‌कई बार हम पेट की बीमारी से दो चार होते है तब हम इस बात से अनजान रहते है कि इस बीमारी के लिए किसे दोषी ठहराया जाए. तब नि :संदेह प्याज को इस बीमारी के लिए दोषी ठहराया जा सकता है.
‌प्याज बैक्टेरिया को अवशोषित कर लेती है यही कारण है कि अपने इस गुण के कारण प्याज हमें ठण्ड और फ्लू से बचाती है.
‌अत: वे प्याज बिलकुल नहीं खाना चाहिए जो बहुत देर पहले काटी गई हो और प्लेट में रखी गई हों. ये जान लें कि ...
‌ काट कर रखी गई प्याज बहुत विषाक्त होती हैं.
‌जब कभी भी फ़ूड पॉइसनिंग के केस अस्पताल में आते हैं तो सबसे पहले इस बात की जानकारी ली जाती कि मरीज़ ने अंतिम बार प्याज कब खाई थी. और वे प्याज कहाँ से आई थीं ,  ‌(खासकर सलाद में )
‌प्याज बैक्टेरिया के लिए चुंबक की तरह काम करती हैं  खासकर कच्ची प्याज आप कभी भी थोड़ी सी भी कटी हुई प्याज को देर तक रखने की गलती न करे ये बेहद खतरनाक हैं.
‌    यहाँ तक कि किसी बंद थैली में इसे रेफ्रिजरेटर में रखना भी सुरक्षित नहीं है.
‌प्याज ज़रा सी काट देने पर ये बैक्टेरिया से ग्रसित हो सकती है और आपके लिए खतरनाक हो सकती है. यदि आप कटी हुई प्याज को सब्ज़ी बनाने के लिए उपयोग कर रहें हो, तब तो ये ठीक है, लेकिन यदि आप कटी हुई प्याज अपनी ब्रेड पर रख कर खा रहें है तो ये बेहद खतरनाक है. ऐसी स्थिति में आप मुसीबत को न्योता दे रहें हैं. याद रखे कटी हुई प्याज और कटे हुए आलू की नमी बैक्टेरिया को तेज़ी से  पनपने में बेहद सहायक होता है.
‌कुत्तों को कभी भी प्याज नहीं खिलाना चाहिए, क्योंकि प्याज को उनका पेट का मेटाबोलिज़ कभी भी नहीं पचाता.
‌कृपया ध्यान रखे कि ...
‌प्याज को काट कर अगले दिन सब्ज़ी बनाने के लिए नहीं रखना चाहिए क्योंकि ये बहुत खतरनाक है यहाँ तक कि कटी हुई प्याज एक रात में बहुत विषाक्त हो जाती है क्योंकि ये टॉक्सिक बैक्टेरिया बनाती है जो पेट खराब करने के लिए पर्याप्त रहता है.

20200205

इंसान हमसे भी अच्छा नोंचता है

बेजुबान पत्थर पे लदे है करोडो के गहने मंदिरो में,
उसी दहलीज पे एक रूपये को तरसते नन्हे हाथो को देखा है।।
       
सजे थे छप्पन भोगऔर मेवे  मूरत के आगे,
बाहर एक फ़कीर को भूख से तड़प के मरते देखा है।।
           
लदी हुई है रेशमी चादरों से वो हरी मजार,
पर बाहर एक बूढ़ी अम्मा को ठंड से ठिठुरते देखा है।।
        
वो दे आया एक लाख गुरद्वारे में हॉल के लिए,
घर में उसको 500 रूपये के लिए काम वाली बाई को बदलते देखा है।।
        
सुना है चढ़ा था सलीब पे कोई दुनिया का दर्द मिटाने को,
आज चर्च में बेटे की मार से बिलखते माँ बाप को देखा है।।
          
जलाती रही जो अखन्ड ज्योति देसी घी की दिन रात पुजारन,
आज उसे प्रसव में कुपोषण के कारण मौत से लड़ते देखा है।।
         
जिसने न दी माँ बाप को भर पेट रोटी कभी जीते जी,
आज लगाते उसको भंडारे मरने के बाद देखा है।।
        
दे के समाज की दुहाई ब्याह दिया था जिस बेटी को जबरन बाप ने,
आज पीटते उसी शौहर के हाथो सरे राह देखा है।।
         
मारा गया वो पंडित बे मौत सड़क दुर्घटना में यारो,
जिसे खुद को काल, सर्प, तारे और हाथ की लकीरो का माहिर लिखते देखा है।।
         
जिसे घर की एकता की देता था जमाना कभी मिसाल दोस्तों,
आज उसी आँगन में खिंचती दीवार को देखा है।।
          
बन्द कर दिया सांपों को सपेरे ने यह कहकर,
अब इंसान ही इंसान को डसने के काम आएगा।।
        
आत्म हत्या कर ली गिरगिट ने सुसाइड नोट छोडकर,
अब इंसान से ज्यादा मैं रंग नहीं बदल सकता।।
         
गिद्ध भी कहीं चले गए लगता है उन्होंने देख लिया कि,
इंसान हमसे भी अच्छा नोंचता  है।।

20191006

🙏ओ३म्  🙏
🚩 अपने जीवन के एक एक सेकंड का सदुपयोग करो🚩
अगर आपके पास 86,400 रुपये है और कोई भी लुटेरा 10 रुपये छिनकर भाग जाए तो आप क्या करेंगे?

क्या आप उसके पीछे भागकर लुटे हुवे 10 रुपये वापस पाने की कोशिश करोगे? या आप अपने बचे हुवे  86,390 को हिफाज़त से लेकर अपने रास्ते पर चलते रहेंगे?

कक्षा के कमरे में बहुमत ने कहा कि हम 10 रुपये की तुच्छ राशि की अनदेखी करते हुए अपने बचे हुवे पैसा लेकर अपने रास्ते पर चलते रहेंगे।

शिक्षक ने कहा: "आप लोगों का सत्य और अवलोकन सही नहीं है। मैंने देखा है कि ज्यादातर लोग 10 रुपये वापस लेने की फ़िक्र में चोर का पीछा करते हैं और परिणाम के रूप में, उनके बचे हुए 86,390 रुपये भी हाथ से धो बैठते हैं।

शिक्षक को देखते हुए छात्र हैरान होकर पूछने लगे "सर, यह असंभव है, ऐसा कौन करता है?"

शिक्षक ने कहा! "ये 86,400 वास्तव में हमारे दिन के सेकंड में से एक हैं।
      10 सेकंड की बात लेकर, या किसी भी 10 सेकंड की नाराज़गी और गुस्से में, हम बाकी के पुरे दिन को सोच,कुढ़न और जलने में गुज़ार देते हैं और हमारे बचे हुए 86,390 सेकंड भी नष्ट कर देते हैं।

चीज़ों को अनदेखा करें। ऐसा न हो कि  चन्द लम्हे का गुस्सा ,नकारात्मकता आपसे आपके सारे दिन की ताज़गी और खूबसूरती छीनकर ले जाए।
 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

20190920

तुलसीदास जी के मात्र एक दोहे में है भारत के 29 राज्यों के नाम

भारत में कितने राज्य हैं और इन राज्यों के नाम क्या है?  लेकिन बच्चे 29 राज्यों के नाम याद नहीं रख पाते। लेकिन हम आपको तुलसीदास जी का एक दोहा बतायेंगे जिसमें भारत के 29 राज्यों के नाम समाए हुए है। यह दोहा है-

राम नाम जपते अत्रि मत गुसिआउ।
पंक में उगोहमि अहि के छबि झाउ।।
इस प्रकार है भारत के 29 राज्यों के नाम

रा– राजस्थान
म – महाराष्ट्र
ना – नागालैंड
म – मणिपुर
ज – जम्मू कश्मीर
प – पश्चिम बंगाल
ते – तेलंगाना
अ – असम
त्रि – त्रिपुरा
म – मध्य प्रदेश
त – तमिलनाडु
गु – गुजरात
सि – सिक्किम
आ- आंध्र प्रदेश
उ – उत्तर प्रदेश
पं- पंजाब
क- कर्नाटक
मे- मेघालय
उ- उत्तराखंड
गो- गोवा
ह- हरियाणा
मि- मिजोरम
अ- अरुणाचल प्रदेश
हि- हिमाचल प्रदेश
के- केरल
छ- छत्तीसगढ़
बि- बिहार
झा- झारखंड
उ- उड़ीसा

20190821

पुण्य


 (१) तुम नीचे  गिर के देखो कोई उठाने नहीं आएगा और जरा उड़कर देखो, सब आएंगे गिराने ।
 (२) दवा में कोई खुशी नहीं है और खुशी जैसी कोई दवा नहीं है । 
(३) जब तक किसी का मन खुद कैकई जैसा न हो तब तक कोई भी मंथरा उसके कान नहीं भर सकती ।
 (४) हमारा स्वभाव: जो ले कर (कर्म) जाना है उसे छोड़ रहे हैं और जो (धन) यहीं रह जाना है उसे जोड़ रहे हैं । 
(५) मन के राज़ पहुँच गए गैरों तक, मशवरा तो अपनों से किया था ।
 (६) पुण्य छप्पर फाड़ कर देता है और पाप थप्पड़ मार कर लेता है । 
(७) समय बहाकर ले जाता है नाम और निशान; कोई 'हम' में रह जाता है औऱ कोई 'अहम' में ।
▪ साभार- बृजमोहन शर्मा व स्वदेश बाला शर्मा, रोहिणी, दिल्ली ११००८५▪
🥦 वृक्ष काटने आये थे कुछ लोग मेरे उद्यान में, "अभी धूप बहुत तेज है" कहकर बैठे हैं उसकी छाँव में । 🥦

20190711

संगत

एक भंवरे की मित्रता एक गोबरी (गोबर में रहने वाले) कीड़े से थी ! एक दिन कीड़े ने भंवरे से कहा- भाई तुम मेरे सबसे अच्छे मित्र हो, इसलिये मेरे यहाँ भोजन पर आओ!

भंवरा भोजन खाने पहुँचा! बाद में भंवरा सोच में पड़ गया- कि मैंने बुरे का संग किया इसलिये मुझे गोबर खाना पड़ा! अब भंवरे ने कीड़े को अपने यहां आने का निमंत्रन दिया कि तुम कल मेरे यहाँ आओ!

अगले दिन कीड़ा भंवरे के यहाँ पहुँचा! भंवरे ने कीड़े को उठा कर गुलाब के फूल में बिठा दिया! कीड़े ने परागरस पिया! मित्र का धन्यवाद कर ही रहा था कि पास के मंदिर का पुजारी आया और फूल तोड़ कर ले गया और बिहारी जी के चरणों में चढा दिया! कीड़े को ठाकुर जी के दर्शन हुये! चरणों में बैठने का सौभाग्य भी मिला! संध्या में पुजारी ने सारे फूल इक्कठा किये और गंगा जी में छोड़ दिए! कीड़ा अपने भाग्य पर हैरान था! इतने में भंवरा उड़ता हुआ कीड़े के पास आया, पूछा-मित्र! क्या हाल है? कीड़े ने कहा-भाई! जन्म-जन्म के पापों से मुक्ति हो गयी! ये सब अच्छी संगत का फल है!
   संगत से गुण ऊपजे, संगत से गुण जाए
   लोहा लगा जहाज में ,  पानी में उतराय!

कोई भी नही जानता कि हम इस जीवन के सफ़र में एक दूसरे से क्यों मिलते है,
सब के साथ रक्त संबंध नहीं हो सकते परन्तु ईश्वर हमें कुछ लोगों के साथ मिलाकर अद्भुत रिश्तों में बांध देता हैं,हमें उन रिश्तों को हमेशा संजोकर रखना चाहिए।

 🙏🌺 *परमात्मा सदैव सबको सुखी रखें* 🌺🙏

20190501

बंद होठों की भाषा

जीवन की मौज मस्ती को पेंडिंग मत रखिये क्योंकि समय का रिजर्वेशन नहीं होता ।

दोष सिर्फ़ अंधेरे का नहीं अपितु लोग बहुत ज्यादा रोशनी से भी अंधे हो जाते हैं । 

ख़ुद की समझदारी भी एक अहमियत रखती है वरना याद रहे कि अर्जुन और दुर्योधन के गुरु तो एक ही थे । 

इश्क़ करना है किसी से तो  बेहद कीजिये क्योंकि हदें तो सरहदों की होती हैं,  दिलों की नहीं । 

अच्छे लोगों की यह खूबी है कि उन्हें याद रखना नहीं पड़ता अपितु  अनायास ही याद रह जाते हैं । 

गति धीमी होने पर आप लक्ष्य को पा लेंगे, बस जरूरी है कि आप रुकें नहीं। 

नहीं आता याचना करना तो खाली हाथ फैला दीजिये, यह जो प्रभुजी हैं, बंद होठों की भाषा भी समझ लेते हैं ।

20190418

जीवन को कैसे जीयें ?



बनावटी दुनिया के बनावटी लोग 
कुदरती मौत की बजाय 
बनावटी मौत ही मरते हैं!

"क्यों करते हो गुरुर अपने चार दिन के ठाठ पर ,
मुठ्ठी भी खाली रहेंगी जब पहुँचोगे घाट पर"...

कुछ गंभीर प्रश्न--
चिन्तन अवश्य कीजियेगा.......

क्या हम बिल्डर्स, इंटीरियर डिजाइनर्स,
केटरर्स और डेकोरेटर्स के लिए कमा रहे हैं ?

हम बड़े-बड़े क़ीमती मकानों और 
बेहद खर्चीली शादियों से
किसे इम्प्रेस करना चाहते हैं ?

क्या आपको याद है कि, 
दो दिन पहले किसी की शादी पर आपने 
क्या खाया था ?

जीवन के प्रारंभिक वर्षों में,
क्यों हम पशुओं की तरह काम में जुते रहते हैं ?

कितनी पीढ़ियों के,खान पान और 
लालन पालन की व्यवस्था करनी है हमें ?

हम में से अधिकाँश लोगों के दो बच्चे हैं। बहुतों का तो सिर्फ एक ही बच्चा है।

"हमारी जरूरत कितनी हैं ?और 
हम पाना कितना चाहते हैं"?

इस बारे में सोचिए।

क्या हमारी अगली पीढ़ी 
कमाने में सक्षम नहीं है जो, 
हम उनके लिए ज्यादा से ज्यादा 
सेविंग कर देना चाहते हैं ?

क्या हम सप्ताह में डेढ़ दिन अपने मित्रों,
अपने परिवार और अपने लिए 
स्पेयर नहीं कर सकते ?

क्या आप अपनी मासिक आय का 
5% अपने आनंद के लिए, 
अपनी ख़ुशी के लिए खर्च करते हैं ?

सामान्यतः जवाब नहीं में ही होता है

हम कमाने के साथ साथ 
आनंद भी क्यों नहीं प्राप्त कर सकते ?

इससे पहले कि आप 
स्लिप डिस्क्स का शिकार हो जाएँ, 
इससे पहले कि, 
कोलोस्ट्रोल आपके हार्ट को ब्लॉक कर दे,
आनंद प्राप्ति के लिए समय निकालिए !!

हम किसी प्रॉपर्टी के मालिक नहीं होते, 
सिर्फ कुछ कागजातों, कुछ दस्तावेजों पर
अस्थाई रूप से हमारा नाम लिखा होता है।

ईश्वर भी व्यंग्यात्मक रूप से हँसेगा 
जब कोई उसे कहेगा कि,

"मैं जमीन के इस टुकड़े का मालिक हूँ "

किसी के बारे में, 
उसके शानदार कपड़े और 
बढ़िया कार देखकर, 
राय कायम मत कीजिए।

हमारे महान गणित और विज्ञान के शिक्षक
स्कूटर पर ही आया जाया करते थे !!*

धनवान होना गलत नहीं है ,
बल्कि.......
"सिर्फ धनवान होना गलत है"

आइए ज़िंदगी को पकड़ें, 
इससे पहले कि, 
जिंदगी हमें पकड़ ले...

एक दिन हम सब जुदा हो जाएँगे, 
तब अपनी बातें, 
अपने सपने हम बहुत मिस करेंगे।

दिन, महीने, साल गुजर जाएँगे, 
शायद कभी कोई संपर्क भी नहीं रहेगा। 
एक रोज हमारी बहुत पुरानी तस्वीर देखकर 
हमारे बच्चे हमी से पूछेंगे कि,
"तस्वीर में ये दुसरे लोग कौन हैं" ?

तब हम मुस्कुराकर 
अपने अदृश्य आँसुओं के साथ 
बड़े फख्र से कहेंगे---

"ये वो लोग हैं, जिनके साथ मैंने 
अपने जीवन के बेहतरीन दिन गुजारे हैं। "

इस मैसेज को 
अपने उन सभी मित्रों को पोस्ट कीजिए,
जिन्हें आप कभी भूल नहीं पाएँगे।*

उन्हें पोस्ट कीजिए,
जो कभी भी आपकी मुस्कान की वजह बने थे।


*जिओ जिंदगी दोस्तों*