20230611
वरिष्ट नागरिक मनोरंजन केंद्र का उदघाटन 3
वरिष्ट नागरिक मनोरंजन केंद्र का उदघाटन 2
वरिष्ट नागरिक मनोरंजन केंद्र का उदघाटन
20220725
ब्रेक
क्या हमने कभी सोचा है, साइकिल हो, या कार, ट्रेन हो या हवाई जहाज, हर एक वाहन में, जिससे हम यात्रा करते हैं, उनमें ब्रेक्स क्यों होते हैं?
20220711
अपनी गठरी टटोलें
दो आदमी यात्रा पर निकले ! दोनों की मुलाकात हुई, दोनों का गंतव्य एक था तो दोनों यात्रा में साथ हो चले ।
सात दिन बाद दोनों के अलग होने का समय आया तो एक ने कहा:-भाई साहब ! एक सप्ताह तक हम दोनों साथ रहे क्या आपने मुझे पहचाना ?
दूसरे ने कहा:- नहीं, मैंने तो नहीं पहचाना !
पहला यात्री बोला:- महोदय मैं एक नामी ठग हूँ परन्तु आप तो महाठग हैं। आप मेरे भी गुरू निकले ।
दूसरे यात्री बोला "कैसे ?
पहला यात्री:- कुछ पाने की आशा में मैंने निरंतर सात दिन तक आपकी तलाशी ली, मुझे कुछ भी नहीं मिला। इतनी बड़ी यात्रा पर निकले हैं तो क्या आपके पास कुछ भी नहीं है ? बिल्कुल खाली हाथ हैं ?
दूसरा यात्री "मेरे पास एक बहुमूल्य हीरा है और थोड़ी-सी रजत मुद्राएं भी हैं ।
पहला यात्री बोला :- तो फिर इतने प्रयत्न के बावजूद वह मुझे मिले क्यों नहीं ?
दूसरा यात्री "मैं जब भी बाहर जाता - वह हीरा और मुद्राएं तुम्हारी पोटली में रख देता था और तुम सात दिन तक मेरी झोली टटोलते रहे। अपनी पोटली सँभालने की ज़रूरत ही नहीं समझी - तो फिर तुम्हें कुछ मिलता कहाँ से ?
यही समस्या हर इंसान की है। आज का इंसान अपने सुख से सुखी नहीं है। दूसरे के सुख से दुखी है क्योंकि निगाह सदैव दूसरे की गठरी पर होती है ।
ईश्वर नित नई खुशियाँ हमारी झोल़ी में डालता है परन्तु हमें अपनी गठरी पर निगाह डालने की फुर्सत ही नहीं है !
यही सबकी मूलभूत समस्या है। जिस दिन से इंसान दूसरे की ताक झाँक बंद कर देगा उस क्षण सारी समस्या का समाधान हो जाऐगा ।
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अपनी गठरी टटोलें !
▪️जीवन में सबसे बड़ा गूढ़ मंत्र है स्वयं को टटोलें और
▪️जीवन-पथ पर आगे बढ़ें । सफलताएं आप की प्रतीक्षा में है
20220207
प्रकृति की ओर चलो.....
अपनी मृत्यु..... अपनों की मृत्यु डरावनी लगती है बाकी तो मौत का उत्सव मनाता है मनुष्य...
20210430
Avoid Ego
आहिस्ता सें पढना मेरे दोस्त,
एक वाक्य भी दिल में बैठ गया तो कविता सार्थक हो जायेगी .....
मैं रूठा,
तुम भी रुठ गए,
फिर मनाएगा कौन?
आज दरार है,
कल खाई होगी,
फिर भरेगा कौन?
मैं चुप,
तुम भी चुप,
इस चुप्पी को फिर तोडेगा कौन?
छोटी बात को लगा लोगे दिल सें,
तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन?
दु:खी मैं भी और तुम भी बिछडकर,
सोचो हाथ फिर बढाएगा कौन?
न मैं राजी,
न तुम राजी,
फिर माफ करनें का बडप्पन
दिखाएगा कौन?
डूब जाएगा यादों में दिल कभी,
तो फिर धैर्य बंधाएगा कौन?
एक अहम् मेरे,
एक तेरे भीतर भी,
इस अहम् को फिर हराएगा कौन?
जिंदगी किसको मिली है सदा के लिए,
फिर इन लम्हों में अकेला
रह जाएगा कौन?
मूंद ली दोनों में से गर किसी दिन,
एक ने आँखे ....
तो कल इस बात पर फिर
पछतायेगा कौन?
*Respect Each Other*
*Ignore Mistakes*
*Avoid Ego*
20201006
लाजवाब
जीवन में ऐसी सोच रखिये , जो खोया है उसका गम नहीं...
20200930
ईश्वर
द्रौपदी के स्वयंवर में जाते वक्त श्री कृष्ण" ने अर्जुन को समझाते हुए कहते हैं कि, हे पार्थ तराजू पर पैर संभलकर रखना, संतुलन बराबर रखना, लक्ष्य मछली की आंख पर ही केंद्रित हो उसका खास खयाल रखना, तो अर्जुन ने कहा, "हे प्रभु " सबकुछ अगर मुझे ही करना है, तो फिर आप क्या करोगे, ???
दो प्रकार के पेड़- पौधे
संसार में दो प्रकार के पेड़- पौधे होते हैं -
20200914
अपने पैरों के तलवों में तेल लगाएं
किसी भी तेल, सरसों या जैतून, आदि को पैरों के तलवों और पूरे पैर पर लगायें, विशेषकर तलवों पर तीन मिनट के लिए और दाहिने पैर के तलवे पर तीन मिनट के लिए।
रात को सोते समय पैरों के तलवों की मालिश करना कभी न भूलें, और बच्चों की मालिश भी इसी तरह करें। इसे अपने जीवन के बाकी हिस्सों के लिए एक दिनचर्या बना लें। फिर प्रकृति की पूर्णता को देखें। आप अपने पूरे जीवन में कंघी करते हैं। क्यों न पैरों के तलवों पर तेल लगाया जाए।
प्राचीन चीनी चिकित्सा के अनुसार, पैरों के नीचे लगभग 100 एक्यूप्रेशर बिंदु हैं। उन्हें दबाने और मालिश करने से मानव अंगों को भी ठीक किया जाता है। उसे फुट रिफ्लेक्सॉजी कहा जाता है। दुनिया भर में पैरों की मालिश चिकित्सा का उपयोग किया जाता है।
20200801
आज 30-35 साल तक के बच्चों के विवाह नहीं हो रहे है? कारण क्या है ?
विवाह योग्य युवक-युवती के परिवार वाले ध्यान से पढ़े
एक 24 वर्षीय लड़की के पिताजी को नजदीक के परिजन ने
एक विवाह प्रस्ताव के बारे में बताया कि लड़का शहर में नौकरी करता है। .... दिखने
में सुस्वरूप है।.... अच्छे संस्कार वाला है।... माँ बाप भी धनाढ्य और सम्पन्न हैं
लड़के की उम्र 25 साल है, सब अनुरुप है। लड़की के पिताजी ने कहा कि वो सब ठीक है पर लड़के की कमाई कितनी है?
मध्यस्थ
ने बताया कि अच्छी है। 30 हजार
रुपये है। धनाढ्य परिवार से है।
लड़की के
पिताजी ने जवाब दिया कि हूँ !! शहर में 30 हजार से क्या होता है? परिवार की कमाई से हमें क्या
लेना-देना!!
मध्यस्थ ने कहा कि एक दूसरा लड़का भी
है।... दिखने में ठीक ठाक है।... तनख्वाह अच्छी.... 50 हजार है। सिर्फ उसकी उम्र थोड़ी ज्यादा
है। वह 28 साल का
है।
लडके पिताजी ने कहा कि 50 हजार ? शहर में 1BHK फ्लैट भी वह खरीद सकता है क्या!....
सिर्फ 50 हजार में?... तो मेरी बेटी को कैसे खुश रख पायेगा वो !
मध्यस्थ ने हिम्मत नहीं हारी और एक
बताया कि एक और भी है।.... लड़का दिखने मे ठीक ठाक है। .... सिर्फ थोड़ा मोटा है।
.... थोडे से बाल झड़ गए है....दिमाग से काम करने के कारण!.... तनख्वाह भी ज्यादा है।... 1 लाख महीना है। ... पर उम्र मात्र 32 साल है ... देखो अगर आपको जँचता हो तो!
लड़की के पिताजी ने गुस्से में कहा कि
क्या चाटना है 1 लाख पगार
को? .... मेरी
कन्या को तो सुन्दर लड़का ही
चाहिए।.... और वो भी अकेला रहने वाला या बहुत छोटा परिवार। ....कमाई भी ज्यादा
होनी चाहिए, वरना लड़की
को खुश कैसे रखेगा!.... मेरी लड़की भी कमाती है! .... कोई अच्छा वर बताइये जी
....लड़का कम उम्र का हो,....अच्छी
पगार कमाता हो, .....घर का भी
अच्छा होना चाहिए ....और दिखने मैं स्मार्ट हो!... अपने खुद के फ्लैट में रहता
हो।... परिवार के साथ रहने वाला नहीं चाहिए!
ऐसे ही बातो में 3 से 5 साल निकल गए। .... फिर उसे मध्यस्थ को
बुलाकर बात हुयी....
मध्यस्थ ने कहा कि अब आपकी लड़की हेतु
योग्य वर देखना मेरे बस की बात नही.
अब मेरे
पास आपकी लड़की के अनुरूप 30 से 35 साल वाले लड़के ही मेरी नजर में है। आप
बोलो तो बताऊ?
लड़की का बाप: "कोई भी लड़का
बताइये!.... इस उम्र में कही शादी हो जाये! ये क्या कम बड़ी बात है!!!.... लड़की की
उम्र भी तो 29/30 हो रही
है!! ....अब मेरी लड़की ही बहुत बड़ी हो गयी है... तो मैं ज्यादा क्या अपेक्षा
रखू.!!
नोट :
ऐसी बातें करके लड़की और लड़को की जिंदगी
के साथ खिलवाड़ रोज देखता हूँ! अंत में समझौता ही करते देखा जाता है! ...
आप अपने आस पास देखेंगे, तो पायेंगे की बहुत से लोग शादी के बाद
धनवान बने है!.... क्यों की ज्योतिषीय आधार पर भी बहुत बार भाग्य शादी के बाद उदय होता
है।... तो बहुत बार शादी के बाद व्यक्ति का सब कुछ चला जाता है..... इसलिए पैसे को
ही एकमात्र आधार नहीं बनाये!....सिर्फ एक सवाल का उत्तर दें कि जब आपकी शादी हुई
थी तब आप कितना कमाते थे? ... आज क्या
आपके पास नहीं है!
लड़का-लड़की को समानता का अधिकार वाले
युग मे आप भी थोड़ा लड़की एवं लड़के के पीछे खड़े रहिये। पर कृपा
करके लड़के-लड़कियों की शादी योग्य उम्र में करिये या होने दीजिए।
ज्यादा मामलों में देखा गया है कि
कमाने वाली लड़कियां या पढ़ाई करने वाली लड़कियां ही अभी पढ़ना है! का बहाना बना कर
.... या काम का बहाना बनाकर जल्द विवाह नहीं करना चाहती है। .... और मां-बाप
द्वारा शादी की बात करने पर घर में झगड़ा आम हो चुका है। ....अपने माता-पिता की भी
भावनाये एवं इच्छाओं का ध्यान रखिए।.. .. आप भले ही डिग्री में उनसे ज्यादा हैं।
... पर आपके माता-पिता आपसे बहुत ज्यादा अनुभवी हैं।... और कोई भी अपने बच्चों के
लिए गलत संबंध नहीं देखता है।
कई जगह तो अच्छे लड़कों को इसलिए छोड़
दिया क्यों कि लड़कियां जॉब कर रही थी और पढ़ाई में लड़कों से ज्यादा थी।...जब कि
लड़के भले ही उनसे कम पढ़े थे .... परंतु उनके जैसी सैलरी वाले तो उनके परिवारिक
व्यवसाय में जॉब कर रहे थे।.... उनके पास पढ़ाई लड़की से कम भले ही था....पर परिवार
और लड़के के पास सारी सुख सुविधा थी।.... परंतु उनको इसलिए नकार दिया गया, क्यों कि वे परिवारिक संयुक्त व्यापार
में थे!... लड़की के परिवार को परिवारिक व्यापारी नहीं बल्कि अकेला जॉब या काम करने
वाला लड़का चाहिए था!!....जब कि वे वर करोड़ों में खेल रहे थे!.... उनको पढ़ी लिखी
बहु चाहिए थी! .... शादी के बाद जॉब करने वाली नहीं बल्कि परिवारिक काम में मददगार
बहु!... सारी संपत्ति इनके 2 या 3 भाइयों
में ही बंटती!....ऐसे सम्बंध छोड़कर जॉब वालों से शादी करने वालों को भी जानता हूँ
..... और सिर्फ जॉब ही करूंगी ! को ही मकसद बनाकर कई को कुँवारे डोलते उम्रदराज हो
चुके को भी जानता हूँ!.... इन्होंने कई बेहतरीन मौके, सिर्फ इसीलिए गंवा दिए!....क्यों कि
जॉब की सोच से बाहर आकर मौके को नहीं पहचाना !!... उनके माता-पिता तो तैयार थे....
पर बच्चे नहीं माने!!
उम्रभर पैसा और नौकरीं तो आते-जाते
रहेगी....पर "तारुण्य" और "उम्र" वापस नहीं आएगी...
देखिये
सोच कर
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कृपया विवाद न करे ....ये एक सत्य
विचार है....कोई इसे व्यक्तिगत
न लें।...अगर बातें सही और योग्य लगे!... तो आचरण में लाने का प्रयास करे....
सभी के अनुभव और विचारों का स्वागत है।
20200616
रिश्ते-नाते केंद्र सम्बन्धित फाइल देखने के लिए
20200523
कटी प्याज के नुकसान
20200205
इंसान हमसे भी अच्छा नोंचता है
20191006
🚩 अपने जीवन के एक एक सेकंड का सदुपयोग करो🚩
अगर आपके पास 86,400 रुपये है और कोई भी लुटेरा 10 रुपये छिनकर भाग जाए तो आप क्या करेंगे?
क्या आप उसके पीछे भागकर लुटे हुवे 10 रुपये वापस पाने की कोशिश करोगे? या आप अपने बचे हुवे 86,390 को हिफाज़त से लेकर अपने रास्ते पर चलते रहेंगे?
कक्षा के कमरे में बहुमत ने कहा कि हम 10 रुपये की तुच्छ राशि की अनदेखी करते हुए अपने बचे हुवे पैसा लेकर अपने रास्ते पर चलते रहेंगे।
शिक्षक ने कहा: "आप लोगों का सत्य और अवलोकन सही नहीं है। मैंने देखा है कि ज्यादातर लोग 10 रुपये वापस लेने की फ़िक्र में चोर का पीछा करते हैं और परिणाम के रूप में, उनके बचे हुए 86,390 रुपये भी हाथ से धो बैठते हैं।
शिक्षक को देखते हुए छात्र हैरान होकर पूछने लगे "सर, यह असंभव है, ऐसा कौन करता है?"
शिक्षक ने कहा! "ये 86,400 वास्तव में हमारे दिन के सेकंड में से एक हैं।
10 सेकंड की बात लेकर, या किसी भी 10 सेकंड की नाराज़गी और गुस्से में, हम बाकी के पुरे दिन को सोच,कुढ़न और जलने में गुज़ार देते हैं और हमारे बचे हुए 86,390 सेकंड भी नष्ट कर देते हैं।
चीज़ों को अनदेखा करें। ऐसा न हो कि चन्द लम्हे का गुस्सा ,नकारात्मकता आपसे आपके सारे दिन की ताज़गी और खूबसूरती छीनकर ले जाए।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
20190920
तुलसीदास जी के मात्र एक दोहे में है भारत के 29 राज्यों के नाम
पंक में उगोहमि अहि के छबि झाउ।।
ना – नागालैंड
म – मणिपुर
ज – जम्मू कश्मीर
प – पश्चिम बंगाल
ते – तेलंगाना
अ – असम
त्रि – त्रिपुरा
म – मध्य प्रदेश
त – तमिलनाडु
गु – गुजरात
सि – सिक्किम
आ- आंध्र प्रदेश
उ – उत्तर प्रदेश
पं- पंजाब
क- कर्नाटक
मे- मेघालय
उ- उत्तराखंड
गो- गोवा
ह- हरियाणा
मि- मिजोरम
अ- अरुणाचल प्रदेश
हि- हिमाचल प्रदेश
के- केरल
छ- छत्तीसगढ़
बि- बिहार
झा- झारखंड
उ- उड़ीसा
20190821
पुण्य
(१) तुम नीचे गिर के देखो कोई उठाने नहीं आएगा और जरा उड़कर देखो, सब आएंगे गिराने ।
(२) दवा में कोई खुशी नहीं है और खुशी जैसी कोई दवा नहीं है ।
(३) जब तक किसी का मन खुद कैकई जैसा न हो तब तक कोई भी मंथरा उसके कान नहीं भर सकती ।
(४) हमारा स्वभाव: जो ले कर (कर्म) जाना है उसे छोड़ रहे हैं और जो (धन) यहीं रह जाना है उसे जोड़ रहे हैं ।
(५) मन के राज़ पहुँच गए गैरों तक, मशवरा तो अपनों से किया था ।
(६) पुण्य छप्पर फाड़ कर देता है और पाप थप्पड़ मार कर लेता है ।
(७) समय बहाकर ले जाता है नाम और निशान; कोई 'हम' में रह जाता है औऱ कोई 'अहम' में ।
▪ साभार- बृजमोहन शर्मा व स्वदेश बाला शर्मा, रोहिणी, दिल्ली ११००८५▪
🥦 वृक्ष काटने आये थे कुछ लोग मेरे उद्यान में, "अभी धूप बहुत तेज है" कहकर बैठे हैं उसकी छाँव में । 🥦
20190711
संगत
भंवरा भोजन खाने पहुँचा! बाद में भंवरा सोच में पड़ गया- कि मैंने बुरे का संग किया इसलिये मुझे गोबर खाना पड़ा! अब भंवरे ने कीड़े को अपने यहां आने का निमंत्रन दिया कि तुम कल मेरे यहाँ आओ!
अगले दिन कीड़ा भंवरे के यहाँ पहुँचा! भंवरे ने कीड़े को उठा कर गुलाब के फूल में बिठा दिया! कीड़े ने परागरस पिया! मित्र का धन्यवाद कर ही रहा था कि पास के मंदिर का पुजारी आया और फूल तोड़ कर ले गया और बिहारी जी के चरणों में चढा दिया! कीड़े को ठाकुर जी के दर्शन हुये! चरणों में बैठने का सौभाग्य भी मिला! संध्या में पुजारी ने सारे फूल इक्कठा किये और गंगा जी में छोड़ दिए! कीड़ा अपने भाग्य पर हैरान था! इतने में भंवरा उड़ता हुआ कीड़े के पास आया, पूछा-मित्र! क्या हाल है? कीड़े ने कहा-भाई! जन्म-जन्म के पापों से मुक्ति हो गयी! ये सब अच्छी संगत का फल है!
संगत से गुण ऊपजे, संगत से गुण जाए
लोहा लगा जहाज में , पानी में उतराय!
कोई भी नही जानता कि हम इस जीवन के सफ़र में एक दूसरे से क्यों मिलते है,
सब के साथ रक्त संबंध नहीं हो सकते परन्तु ईश्वर हमें कुछ लोगों के साथ मिलाकर अद्भुत रिश्तों में बांध देता हैं,हमें उन रिश्तों को हमेशा संजोकर रखना चाहिए।
🙏🌺 *परमात्मा सदैव सबको सुखी रखें* 🌺🙏